Health

केसर और ईसका उपयोग
केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है और क्षुप 15 से 25 सेमी (आधा गज) ऊंचा, परंतु कांडहीन होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो मूलोभ्दव (radical), सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं। प्याज तुल्य केसर के कंद / गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर माह में बोए जाते हैं, जो दो-तीन महीने बाद अर्थात नवंबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनीनीला एवं सफेद होता है। ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है। केसर की सिर्फ 450 ग्राम मात्रा बनाने के लिए क़रीब 75 हज़ार फूल लगते हैं  और 150000 फूलों से लगभग 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है।  केसर के फूलों से निकाला जानेवाला सोने जैसा कीमती केसरकी कीमत बाज़ार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है। इन फूलों में पंखुडि़याँ तीन-तीन के दो चक्रों में और तीन पीले रंग के पुंकेशर होते हैं। कुक्षिवृंत (style) नारंग रक्तवर्ण के, अखंड अथवा खंडित और गदाकार होते हैं। इनके ऊपर तीन कुक्षियाँ, लगभग एक इंच लंबी, गहरे, लाल अथवा लालिमायुक्त हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनके किनारे दंतुर या लोमश होते हैं।
§  केसर को निकालने के लिए पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं। सूख जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर लेते हैं। रंग एवं आकार के अनुसार इन्हें - मागरा, लच्छी, गुच्छी आदि श्रेणियों में वर्गीकत करते हैं।

असली केसर की पहचान
§  असली केसर पानी में पूरी तरह घुल जाती है। केसर को पानी में भिगोकर कपड़े पर रगडने से यदि पीला केसरिया रंग निकले तो उसे असली केसर समझना चाहिए और यदि पहले लाल रंग निकले व बाद में पीला पड़े तो नकली केसर समझना चाहिए।

आयुर्वेदिक उपयोग
§  केसर का उपयोग आयुर्वेदिक नुस्खों में, खाद्य व्यंजनों में और देव पूजा आदि में तो केसर का उपयोग होता ही था पर अब पान मसालों और गुटकों में भी इसका उपयोग होने लगा है। केसर बहुत ही उपयोगी गुणों से युक्त होती है। यह कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली, मस्तिष्क को बल देने वालीहृदय और रक्त के लिए हितकारी, तथा खाद्य पदार्थ और पेय (जैसे दूध) को रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
§  चिकित्सा में यह उष्णवीर्य, आर्तवजनक, वात-कफ-नाशक और वेदनास्थापक माना गया है। अत: पीड़ितार्तव, सर्दी जुकाम तथा शिर:शूलादि में प्रयुक्त होता है। यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति बनाए रखने वाली, कामोत्तेजक, त्रिदोष नाशक, आक्षेपहर, वातशूल शामक, दीपक, पाचक, रुचिकर, मासिक धर्म साफ़ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन, त्वचा का रंग उज्ज्वल करने वाली, रक्तशोधक, धातु पौष्टिक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली, कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली, वातनाड़ियों के लिए शामक, बल्य, वृष्य, मूत्रल, स्तन (दूध) वर्द्धक, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी, तथा खाद्य पदार्थ और पेय (जैसे दूध) को रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
§  आयुर्वेदों के अनुसार केसर उत्तेजक होती है और कामशक्ति को बढ़ाती है। यह मूत्राशय, तिल्ली, यकृत (लीवर), मस्तिष्क व नेत्रों की तकलीफों में भी लाभकारी होती है। प्रदाह को दूर करने का गुण भी इसमें पाया जाता है।
§  केसर बुखार की प्रारिम्भक अवस्था, दानेचेचक, चिकन पोक्स व आन्त्रज्वर को बाहर निकालता है लेकिन दाने निकल आने पर विशेषत: बुखार आदि पित्त के लक्षणों में केसर का उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
§  इसका उपयोग यूनानी और आयुर्वेदिक दवाईयों में इसका बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता है। महिलाओं के कष्टार्तव को दूर करने के लिए, 2-2 रत्ती केसर दूध में घोलकर दिन में तीन बार देना गुणकारी होता है।
§  केसर की पेसरी गर्भाशय की तकलीफ दूर करने में भी प्रयुक्त की जाती है। ल्यूकोरिया एवं हिस्टीरिया की स्थिति में ग्रहण करने से पीड़ित महिला को फ़ायदा पहुंचता है।
§  किसी भी नवजात शिशु के जन्म से पूर्व उसकी माता को अनिवार्य रूप से प्रतिदिन दूध में केसर घोलकर पीने को दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि केसर का दूध पीने से शिशु का रंग गोरा होता है परंतु इसके कई आयुर्वेदिक गुणों की वजह से यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। गर्भवती स्त्री और उसके बच्चे को इन सभी बीमारियों के प्रभाव से बचाने के लिए उन्हें केसर का सेवन कराया जाता है। साथ ही केसर सामान्य महिलाओं के लिए भी बहुपयोगी है। इससे स्त्रियों में होने वाली अनियमित मासिक स्राव एवं इस दौरान होने वाले दर्द में लाभ मिलता है। यदि किसी स्त्री के गर्भाशय की सूजन है तो उसके लिए केसर का सेवन फ़ायदेमंद रहता है।
§  पुरुषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहदबादाम और केसर लेने से फ़ायदा होता है।
§  उदर संबंधित अनेक परेशानियों, जैसे अपच, पेट में दर्द, वायु विकार आदि में केसर उपयोगी है।
§  चोट लगने पर या त्वचा के झुलस जाने पर केसर का लेप लगाने से आराम मिलता है।
§  त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं।
§  चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से, सिरनेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शान्ति और ऊर्जा मिलती हैनाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है और सिर दर्द दूर होता है।
§  अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज़ को पिलाया जाये तो उसे अच्छी नींद आती है।
§  केसर बच्चों के शीत रोगों की रामबाण औषधि है। बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर केसर की एक पँखुड़ी पानी में घोंटकर इसका लेप छाती पीठ और गले पर करने से आराम होता है।
§  शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पँखुड़ी 2-4 बूँद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ।
§  बाल्यकाल में शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।
§  माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर जायफल व लौंग का लेप (पानी में) बनाएँ और रात को सोते समय लेप करें।
§  गंजे लोगों के लिये तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है। जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। तत्पश्चात् उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
§  रूसी की समस्या हो या फिर बाल झाड़ रहे हों, ऐसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए।
§  यह सभी 'केसर' के घरेलू उपचार एवं उपयोग हैं, लेकिन किसी वैद्य के परामर्श द्वारा इसका विशेष लाभ उठाया जा सकता है। इतने सारे मानवोपयोगी गुणों को संजोए 'केसर' सच में एक अनमोल वनस्पति एवं अद्भुत औषधि है।
सावधानी
§   चूंकि यह उष्णतावर्धक है, अत: कम से कम सेवन करना चाहिये। गर्भवती महिलाएं अधिक मात्रा में केसर का सेवन न करे, अन्यथा गर्भपात हो जाने की आशंका रहती है।


7 काम जो खाने के बाद कभी नहीं करना चाहिए, फिर भी अधिकतर लोग करते हैं

नहाना- सही समय पर नहाना और खाना शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिनका नहाने व खाना खाने दोनों का ही निश्चित समय नहीं होता है। खाने के तुरंत बाद नहाना तो सबसे अधिक हानिकारक माना जाता है। दरअसल, ऐसा करने से पेट के चारो और रक्त प्रवाह बढ़ जाता है व पाचन क्रिया धीमी हो जाती है।

नींद से बचें- अधिकतर लोगों को खाने के बाद आलस आता है। ऐसे में वे सोना पसंद करते हैं, लेकिन खाने के तुरंत बाद सोना शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। खाने के बाद तुरंत सोने से भोजन का पाचन ठीक से नहीं होता है और मोटापा बढ़ जाता है।

बेल्ट को लूज नहीं करना चाहिए- कुछ लोगों की आदत होती है कि वो अपनी क्षमता से अधिक खाना खा लेते हैं और फिर खाने के तुरंत बाद अपना बेल्ट ढीला कर देते हैं। ऐसा करना पेट के लिए अच्छा नहीं है। ऐसा करने से पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है।

फल न खाएं- आपने ये तो सुना होगा कि फल भोजन करने के बाद खाना चाहिए, लेकिन ये सच्चाई बहुत कम लोग जानते हैं कि खाने के पहले व तुरंत बाद, दोनों ही स्थितियों में फलों का सेवन लाभदायक नहीं होता। खाने के तुरंत बाद फल खाना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। खाने के तुरंत बाद फल खाने से गैस की समस्या हो सकती है।

चलना नहीं चाहिए- कई लोग ये मानते हैं कि खाना खाने के तुरंत बाद कम से कम सौ कदम चलना चाहिए। लेकिन ये पूरी तरह एक भ्रांति है। खाना खाने के तुरंत बाद चलने से भोजन का संपूर्ण पोषण शरीर को नहीं मिल पाता है। यह पाचन क्रिया को कमजोर करता है।

चाय न पीएं- जो लोग चाय पीने के शौकीन होते हैं, वे खाने के बाद चाय पीते हैं। लेकिन जरा ध्यान दीजिए, खाने के तुरंत बाद चाय न पीएं, क्योंकि खाने के तुरंत बाद चाय पीने से खाना पचने में दिक्कत होती है व एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है।

स्मोकिंग न करें- खाने के तुरंत बाद कई लोग स्मोकिंग का शौक रखते हैं। खाने के बाद स्मोकिंग करने से बहुत हानि होती है। इससे कैंसर की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।


8 Foods That Help To Lower Blood Pressure

Control your blood pressure by maintaining a healthy weight, limiting your salt intake, and eating these heart-healthy foods. When it comes to lowering your blood pressure, these 8 foods are among your best bets. 

1. Bananas

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This functional fruit is packed with potassium, so it’s a great choice for an on-the-go snack. Add a banana to your breakfast (my Strawberry-Banana Cottage Cheese With Almonds makes a great morning meal) or for an evening treat, slice a banana into several half-inch wheels, place them in a small plastic bag, and freeze. Frozen bananas — yum!

2. Soybeans 


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Soybeans are another excellent source of potassium and magnesium. Look for soybeans in the pod (edamame) in the freezer case at your grocery store; for a healthy snack, boil one cup and pop them directly out of the shell into your mouth. If you miss the salt, lightly sprinkle with salt substitute.

3. Dark Chocolate 

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Hooray for dark chocolate! Eating about 30 calories a day of dark chocolate — just one tiny square — was shown to help lower blood pressure after 18 weeks without weight gain or other adverse effects, according to a study published in the Journal of the American Medical Association (JAMA). Choose dark chocolate consisting of at least 70 percent cocoa powder. Because chocolate is also high in calories, you’ll want to be very careful not to overdo it. 

4. Skim Milk 

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It truly does a body good! Drinking heart-healthy skim milk or 1 percent milk will provide you with calcium and vitamin D — the two nutrients work as a team to help reduce blood pressure by 3 to 10 percent. Although this doesn’t sound like much, it could add up to about a 15 percent reduction in risk for cardiovascular disease. 

5. Spinach 

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A green leafy delight, spinach is low in calories, high in fiber, and packed with heart-healthy nutrients like potassium, folate, and magnesium — key ingredients for lowering and maintaining blood pressure levels. An easy way to eat more of this great green? Try mixing fresh spinach leaves into salads or adding them to sandwiches.


6. Sunflower Seeds

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Sunflower seeds are also a great source of magnesium. A quarter cup of these makes a nutritious snack — but be sure to buy them unsalted, since salted sunflower seeds are high in sodium, which you want to avoid.

7. Beans


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Nutritious and versatile, beans (including black, white, navy, lima, pinto, and kidney) are chock-full of soluble fiber, magnesium, and potassium, all excellent ingredients for lowering blood pressure and improving overall heart health. Add beans to your favorite salads, soups, or wraps; as a bonus, they’re pretty inexpensive.

8. Baked White Potato 


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Potatoes are rich in both magnesium and potassium, two vital nutrients for heart health. When potassium is low, the body retains extra sodium (and too much sodium raises blood pressure). On the other hand, when you eat a potassium-rich diet, the body becomes more efficient at getting rid of excess sodium. Like potassium, magnesium is also a key player in promoting healthy blood flow. Therefore, maintaining a healthy balance of both minerals   can help keep high blood pressure at bay.    

  Source: http://www.joybauer.com/quizzes/high-blood-pressure.aspx
   

खतरे की घंटी बजाते मोबाइल!


मोबाइल फोन के बिना अब हम जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर पाते। आदत ऐसी बन गई है कि जब कॉल नहीं होता, तो भी हमें लगता है कि घंटी बज रही है। यह घंटी दरअसल खतरे की घंटी हो सकती है। मोबाइल फोन और मोबाइल टावर से निकलने वाला रेडिएशन सेहत के लिए खतरा भी साबित हो सकता है। लेकिन कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो मोबाइल रेडिएशन से होने वाले खतरों से काफी हद तक बचा जा सकता है । पूरी जानकारी प्रियंका सिंह औरमानसी दाश से :

क्या रेडिएशन से सेहत से जुड़ी समस्याएं होती हैं?
मोबाइल रेडिएशन पर कई रिसर्च पेपर तैयार कर चुके आईआईटी बॉम्बे में इलेक्ट्रिकल इंजिनियर प्रो. गिरीश कुमार का कहना है कि मोबाइल रेडिएशन से तमाम दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें प्रमुख हैं सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द आदि।

क्या कुछ और खतरे भी हो सकते हैं मोबाइल रेडिएशन से?
स्टडी कहती है कि मोबाइल रेडिएशन से लंबे समय के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और मिस-कैरेज की आशंका भी हो सकती है। दरअसल, हमारे शरीर में 70 फीसदी पानी है। दिमाग में भी 90 फीसदी तक पानी होता है। यह पानी धीरे-धीरे बॉडी रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है और आगे जाकर सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है। यहां तक कि बीते साल आई डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल से कैंसर तक होने की आशंका हो सकती है। इंटरफोन स्टडी में कहा गया कि हर दिन आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 8-10 साल में ब्रेन ट्यूमर की आशंका 200-400 फीसदी बढ़ जाती है।

रेडिएशन कितनी तरह का होता है?
माइक्रोवेव रेडिएशन उन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स के कारण होता है, जिनकी फ्रीक्वेंसी 1000 से 3000 मेगाहर्ट्ज होती है। माइक्रोवेव अवन, एसी, वायरलेस कंप्यूटर, कॉर्डलेस फोन और दूसरे वायरलेस डिवाइस भी रेडिएशन पैदा करते हैं। लेकिन लगातार बढ़ते इस्तेमाल, शरीर से नजदीकी और बढ़ती संख्या की वजह से मोबाइल रेडिएशन सबसे खतरनाक साबित हो सकता है। मोबाइल रेडिएशन दो तरह से होता है, मोबाइल टावर और मोबाइल फोन से।

रेडिएशन से किसे ज्यादा नुकसान होता है?
मैक्स हेल्थकेयर में कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत अग्रवाल के मुताबिक मोबाइल रेडिएशन सभी के लिए नुकसानदेह है लेकिन बच्चे, महिलाएं, बुजुर्गों और मरीजों को इससे ज्यादा नुकसान हो सकता है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स ऐडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि बच्चों और किशोरों को मोबाइल पर ज्यादा वक्त नहीं बिताना चाहिए और स्पीकर फोन या हैंडसेट का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि सिर और मोबाइल के बीच दूरी बनी रहे। बच्चों और और प्रेगनेंट महिलाओं को भी मोबाइल फोन के ज्यादा यूज से बचना चाहिए।

मोबाइल टावर या फोन, किससे नुकसान ज्यादा?
प्रो. गिरीश कुमार के मुताबिक मोबाइल फोन हमारे ज्यादा करीब होता है, इसलिए उससे नुकसान ज्यादा होना चाहिए लेकिन ज्यादा परेशानी टावर से होती है क्योंकि मोबाइल का इस्तेमाल हम लगातार नहीं करते, जबकि टावर लगातार चौबीसों घंटे रेडिएशन फैलाते हैं। मोबाइल पर अगर हम घंटा भर बात करते हैं तो उससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमें 23 घंटे मिलते हैं, जबकि टावर के पास रहनेवाले उससे लगातार निकलने वाली तरंगों की जद में रहते हैं। अगर घर के समाने टावर लगा है तो उसमें रहनेवाले लोगों को 2-3 साल के अंदर सेहत से जुड़ी समस्याएं शुरू हो सकती हैं। मुंबई की उषा किरण बिल्डिंग में कैंसर के कई मामले सामने आने को मोबाइल टावर रेडिएशन से जोड़कर देखा जा रहा है। फिल्म ऐक्ट्रेस जूही चावला ने सिरदर्द और सेहत से जुड़ी दूसरी समस्याएं होने पर अपने घर के आसपास से 9 मोबाइल टावरों को हटवाया।

मोबाइल टावर के किस एरिया में नुकसान सबसे ज्यादा?
मोबाइल टावर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। ऐंटेना के सामनेवाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। जाहिर है, सामने की ओर ही नुकसान भी ज्यादा होता है, पीछे और नीचे के मुकाबले। मोबाइल टावर से होनेवाले नुकसान में यह बात भी अहमियत रखती है कि घर टावर पर लगे ऐंटेना के सामने है या पीछे। इसी तरह दूरी भी बहुत अहम है। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा ऐंटेना लगे होंगे, रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा।

कितनी देर तक मोबाइल का इस्तेमाल ठीक है?
दिन भर में 24 मिनट तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल सेहत के लिहाज से मुफीद है। यहां यह भी अहम है कि आपके मोबाइल की SAR
वैल्यू क्या है? ज्यादा SAR वैल्यू के फोन पर कम देर बात करना कम SAR वैल्यू वाले फोन पर ज्यादा बात करने से ज्यादा नुकसानदेह है। लंबे वक्त तक बातचीत के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल रेडिएशन से बचने का आसान तरीका है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि ऑफिस या घर में लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करें। कॉर्डलेस फोन के इस्तेमाल से बचें।

बोलते हैं आंकड़े
-2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।
-हंगरी में साइंटिस्टों ने पाया कि जो युवक बहुत ज्यादा सेल फोन का इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।
-जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक जो लोग ट्रांसमिटर ऐंटेना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। 400 मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है।
-केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार सेल फोन टॉवरों से होनेवाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की कमर्शल पॉप्युलेशन 60 फीसदी तक गिर गई है।
-सेल फोन टावरों के पास जिन गौरेयों ने अंडे दिए, 30 दिन के बाद भी उनमें से बच्चे नहीं निकले, जबकि आमतौर पर इस काम में 10-14 दिन लगते हैं। गौरतलब है कि टावर्स से काफी हल्की फ्रीक्वेंसी (900 से 1800 मेगाहर्ट्ज) की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्ज निकलती हैं, लेकिन ये भी छोटे चूजों को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
-2010 की इंटरफोन स्टडी इस बात की ओर इशारा करती है कि लंबे समय तक मोबाइल के इस्तेमाल से ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है।

रेडिएशन को लेकर क्या हैं गाइडलाइंस?
जीएसएम टावरों के लिए रेडिएशन लिमिट 4500 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर तय की गई। लेकिन इंटरनैशनल कमिशन ऑन नॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन (आईसीएनआईआरपी) की गाइडलाइंस जो इंडिया में लागू की गईं, वे दरअसल शॉर्ट-टर्म एक्सपोजर के लिए थीं, जबकि मोबाइल टॉवर से तो लगातार रेडिएशन होता है। इसलिए इस लिमिट को कम कर 450 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर करने की बात हो रही है। ये नई गाइडलाइंस 15 सितंबर से लागू होंगी। हालांकि प्रो. गिरीश कुमार का कहना है कि यह लिमिट भी बहुत ज्यादा है और सिर्फ 1 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर रेडिशन भी नुकसान देता है। यही वजह है कि ऑस्ट्रिया में 1 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर और साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया में 0.01 मिलीवॉट/मी. स्क्वेयर लिमिट है।

दिल्ली में मोबाइल रेडिएशन किस लेवल पर है?
2010 में एक मैगज़ीन और कंपनी के सर्वे में दिल्ली में 100 जगहों पर टेस्टिंग की गई और पाया कि दिल्ली का एक-चौथाई हिस्सा ही रेडिएशन से सुरक्षित है लेकिन इन जगहों में दिल्ली के वीवीआईपी एरिया ही ज्यादा हैं। रेडिएशन के लिहाज से दिल्ली का कनॉट प्लेस, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, खान मार्केट, कश्मीरी गेट, वसंत कुंज, कड़कड़डूमा, हौज खास, ग्रेटर कैलाश मार्केट, सफदरजंग अस्पताल, संचार भवन, जंगपुरा, झंडेवालान, दिल्ली हाई कोर्ट को डेंजर एरिया में माना गया। दिल्ली के नामी अस्पताल भी इस रेडिएशन की चपेट में हैं।

किस तरह कम कर सकते हैं मोबाइल फोन रेडिएशन?
-रेडिएशन कम करने के लिए अपने फोन के साथ फेराइट बीड (रेडिएशन सोखने वाला एक यंत्र) भी लगा सकते हैं।
-मोबाइल फोन रेडिएशन शील्ड का इस्तेमाल भी अच्छा तरीका है। आजकल कई कंपनियां मार्केट में इस तरह के उपकरण बेच रही हैं।
-रेडिएशन ब्लॉक ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, ये खास तरह के सॉफ्टवेयर होते हैं, जो एक खास वक्त तक वाईफाई, ब्लू-टूथ, जीपीएस या ऐंटेना को ब्लॉक कर सकते हैं।

टावर के रेडिएशन से कैसे बच सकते हैं?
मोबाइल रेडिएशन से बचने के लिए ये उपाय कारगर हो सकते हैं:
-मोबाइल टॉवरों से जितना मुमकिन है, दूर रहें।
-टावर कंपनी से ऐंटेना की पावर कम करने को बोलें।
-अगर घर के बिल्कुल सामने मोबाइल टावर है तो घर की खिड़की-दरवाजे बंद करके रखें।
-घर में रेडिएशन डिटेक्टर की मदद से रेडिएशन का लेवल चेक करें। जिस इलाके में रेडिएशन ज्यादा है, वहां कम वक्त बिताएं।
Detex नाम का रेडिएशन डिटेक्टर करीब 5000 रुपये में मिलता है।
-घर की खिड़कियों पर खास तरह की फिल्म लगा सकते हैं क्योंकि सबसे ज्यादा रेडिएशन ग्लास के जरिए आता है। ऐंटि-रेडिएशन फिल्म की कीमत एक खिड़की के लिए करीब 4000 रुपए पड़ती है।
-खिड़की दरवाजों पर शिल्डिंग पर्दे लगा सकते हैं। ये पर्दे काफी हद तक रेडिएशन को रोक सकते हैं। कई कंपनियां ऐसे प्रॉडक्ट बनाती हैं।

क्या कम सिग्नल भी हो सकते हैं घातक?
अगर सिग्नल कम आ रहे हों तो मोबाइल का इस्तेमाल न करें क्योंकि इस दौरान रेडिएशन ज्यादा होता है। पूरे सिग्नल आने पर ही मोबाइल यूज करना चाहिए। मोबाइल का इस्तेमाल खिड़की या दरवाजे के पास खड़े होकर या खुले में करना बेहतर है क्योंकि इससे तरंगों को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है।

स्पीकर पर बात करना कितना मददगार?
मोबाइल शरीर से जितना दूर रहेगा, उनका नुकसान कम होगा, इसलिए फोन को शरीर से दूर रखें। ब्लैकबेरी फोन में एक मेसेज भी आता है, जो कहता है कि मोबाइल को शरीर से 25 मिमी (करीब 1 इंच) की दूरी पर रखें। सैमसंग गैलेक्सी एस 3 में भी मोबाइल को शरीर से दूर रखने का मेसेज आता है। रॉकलैंड हॉस्पिटल में ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. धीरेंद्र सिंह के मुताबिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से बचने के लिए स्पीकर फोन या या हैंड्स-फ्री का इस्तेमाल करें। ऐसे हेड-सेट्स यूज करें, जिनमें ईयर पीस और कानों के बीच प्लास्टिक की एयर ट्यूब हो।

क्या मोबाइल तकिए के नीचे रखकर सोना सही है?
मोबाइल को हर वक्त जेब में रखकर न घूमें, न ही तकिए के नीचे या बगल में रखकर सोएं क्योंकि मोबाइल हर मिनट टावर को सिग्नल भेजता है। बेहतर है कि मोबाइल को जेब से निकालकर कम-से-कम दो फुट यानी करीब एक हाथ की दूरी पर रखें। सोते हुए भी दूरी बनाए रखें।

जेब में मोबाइल रखना दिल के लिए नुकसानदेह है?
एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट में कार्डिएक साइंसेज के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ के मुताबिक अभी तक मोबाइल रेडिएशन और दिल की बीमारी के बीच सीधे तौर पर कोई ठोस संबंध सामने नहीं आया है। लेकिन मोबाइल के बहुत ज्यादा इस्तेमाल या मोबाइल टावर के पास रहने से दूसरी समस्याओं के साथ-साथ दिल की धड़कन का अनियमित होने की आशंका जरूर होती है। बेहतर यही है कि हम सावधानी बरतें और मोबाइल का इस्तेमाल कम करें।

पेसमेकर लगा है तो क्या मोबाइल ज्यादा नुकसान करता है?
डॉ. सेठ का कहना है कि अगर शरीर में पेसमेकर लगा है तो हैंडसेट से 1 फुट तक की दूरी बनाकर बात करें। शरीर में लगा डिवाइस इलेक्ट्रिक सिग्नल पैदा करता है, जिसके साथ मोबाइल के सिग्नल दखल दे सकते हैं। ऐसे में ये शरीर को कम या ज्यादा सिग्नल पहुंचा सकते हैं, जो नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे में ब्लूटूथ या हैंड्स-फ्री डिवाइस के जरिए या फिर स्पीकर ऑन कर बात करें। पेसमेकर जिस तरफ लगा है, उस पॉकेट में मोबाइल न रखें।

पेंट की जेब में रखने से क्या स्पर्म्स पर असर होता है?
जाने-माने सेक्सॉलजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी का मानना है कि मोबाइल रेडिएशन से नुकसान होता है या नहीं, इसका कोई ठोस सबूत नहीं हैं। फिर भी एहतियात के तौर पर आप अपने मोबाइल को कमर पर बेल्ट के साथ लगाएं तो बेहतर होगा।

क्या ब्लूटूथ का इस्तेमाल नुकसान बढ़ाता है?
अगर हम ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं, तो हमारे शरीर में रेडिएशन थोड़ा ज्यादा अब्जॉर्ब होगा। अगर ब्लूटूथ ऑन करेंगे तो 10 मिली वॉट पावर अडिशनल निकलेगी। मोबाइल से निकलने वाली पावर के साथ-साथ शरीर इसे भी अब्जॉर्ब करेगा। ऐसे में जरूरी है कि ब्लूटूथ पर बात करते हैं तो मोबाइल को अपने शरीर से दूर रखें। एक फुट की दूरी हो तो अच्छा है।

गेम्स /नेट सर्फिंग के लिए मोबाइल यूज खतरनाक है?
मोबाइल पर गेम्स खेलना सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह नहीं है, लेकिन इंटरनेट सर्फिंग के दौरान रेडिएशन होता है इसलिए मोबाइल फोन से ज्यादा देर इंटरनेट सर्फिंग नहीं करनी चाहिए।

SAR की मोबाइल रेडिएशन में क्या भूमिका है?
-कम एसएआर संख्या वाला मोबाइल खरीदें, क्योंकि इसमें रेडिएशन का खतरा कम होता है। मोबाइल फोन कंपनी की वेबसाइट या फोन के यूजर मैनुअल में यह संख्या छपी होती है। वैसे, कुछ भारतीय कंपनियां ऐसी भी हैं, जो एसएआर संख्या का खुलासा नहीं करतीं।

क्या है SAR: अमेरिका के नैशनल स्टैंडर्ड्स इंस्टिट्यूट के मुताबिक, एक तय वक्त के भीतर किसी इंसान या जानवर के शरीर में प्रवेश करने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की माप को एसएआर (स्पैसिफिक अब्जॉर्पशन रेश्यो) कहा जाता है। एसएआर संख्या वह ऊर्जा है, जो मोबाइल के इस्तेमाल के वक्त इंसान का शरीर सोखता है। मतलब यह है कि जिस मोबाइल की एसएआर संख्या जितनी ज्यादा होगी, वह शरीर के लिए उतना ही ज्यादा नुकसानदेह होगा।

भारत में SAR के लिए क्या हैं नियम?
अभी तक हैंडसेट्स में रेडिएशन के यूरोपीय मानकों का पालन होता है। इन मानकों के मुताबिक हैंडसेट का एसएआर लेवल 2 वॉट प्रति किलो से ज्यादा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। लेकिन एक्सपर्ट इस मानक को सही नहीं मानते हैं। इसके पीछे दलील यह दी जाती है कि ये मानक भारत जैसे गर्म मुल्क के लिए मुफीद नहीं हो सकते। इसके अलावा, भारतीयों में यूरोपीय लोगों के मुकाबले कम बॉडी फैट होता है। इस वजह से हम पर रेडियो फ्रीक्वेंसी का ज्यादा घातक असर पड़ता है। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित गाइडलाइंस में यह सीमा 1.6 वॉट प्रति किग्रा कर दी गई है, जोकि अमेरिकी स्टैंडर्ड है।

मेट्रो या लिफ्ट में मोबाइल यूज करते वक्त क्या ध्यान रखें?
लिफ्ट या मेट्रो में मोबाइल के इस्तेमाल से बचें क्योंकि तरंगों के बाहर निकलने का रास्ता बंद होने से इनके शरीर में प्रवेश का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, इन जगहों पर सिग्नल कम होना भी नुकसानदेह हो सकता है।

मोबाइल को कहां रखें?
मोबाइल को कहां रखा जाए, इस बारे में अभी तक कोई आम राय नहीं बनी है। यह भी साबित नहीं हुआ है कि मोबाइल को पॉकेट आदि में रखने से सीधा नुकसान है, पेसमेकर के मामले को छोड़कर। फिर भी एहतियात के तौर पर महिलाओं के लिए मोबाइल को पर्स में रखना और पुरुषों के लिए कमर पर बेल्ट पर साइड में लगाए गए पाउच में रखना सही है।

किस मोबाइल का कितना SAR?
ज्यादातर मोबाइल फोन्स का एसएआर अलग-अलग होता है:

मोटोरोलाV195s1.6
नोकिया E7101.53
एलजी र्यूमर21.51
सोनी एरिक्सन W350a1.48
एपल आईफोन-41.51
सैमसंग Soul0.24
नोकिया 93000.21
सैमसंग गैलेक्सी S-20.338
ब्लैकबेरी कर्व-83100.72


Source- http://navbharattimes.indiatimes.com/mobile-phone-radiation-is-hazard/articleshow/14201260.cmsUnsalted 






Benefits Of Surya Namaskar



Surya Namaskar is one of the most prominent and well known yoga activity. It actually dates back to the Vedic times, and there have been many references about the benefits of Surya Namaskar in the Vedas. Surya Namaskar actually means “Sun Salutations” a daily activity that is performed by Hindus to the Sun God in order to maintain a peaceful and prosperous life. It consists of 12 poses, and a completion of these 12 poses twice is considered one cycle.

Apart from this, it is also a part of the Aditya Hridayam, another ancient practice. Sage Agastya taught this to Sri Rama before his fight with Ravana in the book Ramayana. Even though the Surya Namaskar has a very strong Hindu significance, it is no longer practiced only by Hindus. The benefits of the Surya Namaskar has spread far and wide, with teachers worldwide teaching it to their students as well.

Let us look at the benefits this ancient art can bring to you in your fast paced modern life.

Morning Stiffness – 
How many of us have woken up in the morning with stiff joints and shoulders that feel very rigid? Fifteen minutes of the Surya Namaskar every morning can make you feel flexible and get rid of body stiffness too!

Sharp and Energetic – Surya Namaskar fights fatigue and improves concentration. The simple bends and turns are enough to make sure your body and mind feel fresh.

De-stressing – Practice Surya Namaskar in the evening to de-stress yourself after a hard day work. Even a few sets of this yoga can calm your mind and make you feel active and positive!

Digestion – Another benefit of Surya Namaskar is to aid the digestive system. In this age of fast food and read to eat meals, have increased digestive problems such as gastric, acidity, constipation etc. Surya Namaskar makes certain that you no longer have that bloated feeling all day.

Posture – Most of us are used to spending almost ten to twelve hours in front of the computer everyday, leading to a very slouched posture, which is very harmful in the long run. The stretches in the Surya Namaskara makes every part of our body move rhythmically. This increases blood flow in the body and relieves body pain.

So go ahead, master this simple yoga technique to lead a much more healthier and active lifestyle

Summer Health Tips - Beating the Heat!

Its so burning hot out there, and your skin seems to be sucking the heat in deeper into your body rather than helping you cool down. An occasional afternoon downpour brings more grief than relief for it layers on humidity that is thick enough to slice with a knife. Throw in a little pollution and each second becomes pure hell when you are outdoors.The recently past heat wave seems to be consuming and is probably indicative of an approaching hot summer, for brutal May, sizzling June and searing July and August are yet to come.  

Can certain foods help towards reversing some of this exchange of body heat? Yes, they most certainly can!


Why and how does this heat exchange happen?


On sultry, humid days, muscles compete with the skin for blood circulation. When it's hot outside, more blood flows near the skin to help dissipate body heat and cool the body down thereby keeping your body's temperature from rising to dangerous levels. But that can mean less blood reaches muscles, hence the lethargy.

At the same time, as when your body becomes hotter, muscle enzymes speed up and burn glycogen more rapidly, depleting stores of the sugar that your muscles use for fuel. Hence it's imperative to drink plenty of fluids that would help hydrate your muscles and skin adequately in order to maintain internal cooling down.

Is it a good idea to apply wet rags over your forehead, thereby reducing the heat entering your brain? 

Not necessarily. Neither is it a good idea to wet your head down entirely, especially for kids who have just finished playing a sport. You have to make the heat move outwards. Too much water on the skin's surface inhibits sweat evaporation that helps cool the body down.

To handle this heat onslaught and ensure your body is as cool as it can possibly be, we suggest a few measures that are easy to follow:

1.    Eat light, small, frequent meals. Start the morning with a sweet, juicy fruit at breakfast. Ripe summer fruits - peaches, plums, melons and pears, are exactly what your skin craves for in the hot season. Citrus fruits are also very cooling. Eat whole or extract their juice, store in the refrigerator and sip often throughout the day.

2.    Include salads in your diet. Consuming leafy lettuce and summer greens, corn on cob and cucumbers, in salads are delicious ways to stay cool. These foods contain a significant amount of water and can actually thin the blood, which has a cooling effect. Onions too are great in the summer, because of their ability to beat the heat and provide relief from summer ailments. So, throw in some washed onion slices onto a sandwich, or in your salad.

3.    If you get burnt (sun stroke or heat stroke), seek relief by sipping on green tea or take a spoon of onion juice. They are potent antioxidants that can neutralize cellular damage caused by the sun's rays. 

4.    To cool the body through sweating, add small amounts of hot spices to food while cooking. Hot peppers, fresh ginger, and black pepper are all great spices to make it really hot for you and then to cool you down. 

5.    Hydrate your body. Drink at least 8-10 glasses of water a day. Water is the best drink as it doesn't contain any sugars that can add up to unnecessary calories. For a change, a lemon and honey drink can also instantly replenish your body's lost fluids and work as an energizer.  Drink fluids even if you are not yet thirsty. Once you have the feeling of being thirsty means you are already dehydrated. 

6.    Wear loose, full-sleeved cotton clothes to protect the body from the sun and to aid evaporation of sweat.  Use a hat to protect your head from the sun you go out.

7.     Stay indoors. Restrict outdoor activities to the cooler parts of the day - early mornings before 10.30 am or late evenings after 5:30 pm

The not so cool:
  • If you're a non-vegetarian, you should limit red meat and instead go for fish and oysters.
  • Avoid extreme cold foods and drinks - most of us normally pick these and they are actually known to interfere with digestion and sweating, thereby interfering with the body's natural cooling mechanisms. So, however tempting it may be to sit on your porch licking an ice cream cone or sipping a cool glass of tea, try a wedge of watermelon instead.
As the mercury rises, the last thing on one's mind is food - but if you eat smart, small & light meals and accompany it with plenty of fluids you will be a cool winner.

So go ahead and take these obvious precautions! But remember the best place to start the cooling process is in your body's core.







छोटे-छोटे घरेलू टिप्स: इनसे पथरी टूट कर निकल जाएगी

- नारियल पानी पीने से पथरी निकल जाती है।
- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है।
- 15 दाने बड़ी इलायची के, एक चम्मच खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार रोज पीते रहें।

- जौ का पानी पीने से भी पथरी निकल जाती है।
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर की निकल जाती है।
- आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लें।
- पका हुआ जामुन खाने से पथरी रोग में आराम मिलता है।
- आंवले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया सभी 50-50 ग्राम को डेढ़ किलो पानी में रात को भिगोकर रख दें। शाम को छानकर इन्हें पीसकर इसी पानी में घोलकर छान कर पीएं। एक बार में पूरा न पी पाएं तो कुछ समय बाद फिर पीएं।


सौन्दर्यका लागि ब्लु स्पा


मन्द उज्यालो, मधुर संगीत एवं सम्पूर्ण तनाव र थकान हर्ने मखमली मसाज। यस्तो अनौठो अनुभव कुनै ब्युटी स्पाबाट मात्र सम्भव छ, जहाँ मानिसले आफ्नो शिरदेखि पाउसम्म एवं तनदेखि मनसम्म पूर्णरूपमा आराम प्रदान गर्न सक्छ। अब स्पा थेरापी मात्र पुरानो मसाज थेरापीमा सीमित छैन, यसमा थुपै्र विविधता जोडिन पुगेको छ जसबाट ताजापन र फुर्तीको नयाँपन अनुभव प्राप्त हुन्छ। ब्लु स्पा पनि एउटा त्यस्तै  स्पाको नाम हो। ब्लु अर्थात् नीलो। एउटा यस्तो रंग जुन शान्ति र आरामको परिचायक हो। चाहे त्यो कोठाको भित्ता होस् वा आफ्नो पहिरन, जब पूरा स्थान नै ब्लु थिममा आधारित हुन्छ, त्यसको बेग्लै सुखद अनुभूति हुन्छ। सम्पूर्ण रूपमा कुलकुल। ब्लु स्पाले तनाव हटाउँछ, शरीरको रक्त प्रवाहलाई सन्तुलित राख्छ र छालालाई बालबालिकाको छालाजस्तै कोमल बनाउँछ। यो स्पामा प्रयोग हुने प्रोडक्टको प्याकेजिङ पनि नीलो रंगकै हुन्छ। यो स्पामा केही विशेष खालको मसाज र थेरापी पनि प्रयोग हुन्छ जसमा सिवुड रेजुवनेट स्क्रव, चिल एण्ड कुल डिटाक्सिकाइङ स्क्रव, बनाना लिफ र्‍याप आदि प्रमुख हुन्।

सिविड रेजुवनेट स्क्रव ः यो स्क्रवमा भएका खनिज र सिफुड तत्वले छालामा रहेका कीटाणु र टक्सिन अर्थात् विषलाई बाहिर निकाल्छ। यो स्क्रवमा समुद्री खनिज तत्वबाहेक माटो चाइना -क्ले) तथा भिटामिन ई ओयल प्रयोग हुन्छ। माटोले छालाको विषलाई सोस्छ र सिविड्सले छालालाई पोषण प्रदान गर्छ। यो पाको उमेरकाहरूको  छालाका लागि विशेष लाभदायक हुन्छ। सबैभन्दा पहिले पूरा शरीर तातोपानीमा भिजाइएको टावेलले सफा गर्नुपर्छ। त्यसपछि क्लिन्जरका रूपमा चिनियाँ माटो लगाएर पाँच मिनेटसम्म बडी मसाज गर्नुपर्छ। त्यसलाई मन तातोपानीले धोएपछि भिटामिन ई ओयलबाट १५ मिनेटसम्म मसाज गरिन्छ। त्यसपछि पूरा शरीरमा आधा घन्टा स्क्रव प्रयोग गरिन्छ।

चिल कुल डिटाक्सिफाइङ स्क्रव विद जस्मिन ः यसमा चन्दन, चमेली, बदाम, काँक्राको जुस, चमेलीको तेल, स्पि्रक्ट ओयल एवं चमेलीको ताजा फूल प्रयोग गरिन्छ। यसबाट छालालाई शीतलता र ताजापन प्राप्त हुन्छ। सबैभन्दा पहिले मन तातोपानी र स्विट आल्मन्डयुक्त स्क्रवबाट शरीरमा भएको मैलो हटाइन्छ। १५ मिनेटसम्म मसाजमा चमेली र एपि्रकट ओयल प्रयोग गरिन्छ। त्यसपछि पूरा शरीरमा चन्दनयुक्त स्क्रव लगाइन्छ। २० वा ३० मिनेटपछि पानीले सफा गरेपछि काँक्राको जुसको लेप लगाइन्छ र अन्त्यमा जसमिन ओयल, चमेली र एपि्रकट ओयल प्रयोग हुन्छ। यसबाट छालालाई पूर्णरूपमा पोषण प्राप्त हुन्छ र छालाको रंगमा पनि निखार आउँछ।

ओयल स्टिमुलेटिभ डिटाक्सिफाइङ मसाज ः

तेल आफैमा सबैभन्दा शोधक मानिन्छ जसले फोहोरमैला बाहिर निकालेर छालाको भित्रसम्म पुगी सम्पूर्ण शरीरलाई ऊर्जावान् तुल्याउनुका साथै मांसपेशी तथा हड्डीलाई बलियो बनाउँछ। ब्लु स्पामा पनि यो कुरा लागू हुन्छ। सबैभन्दा पहिले पूरा शरीरलाई तातोपानीमा भिजाइएको टावेलले सफा गरिन्छ। त्यसपछि पातको मद्दतबाट मसाज गरिन्छ र एक्युप्रेसर प्वाइन्टसमा अलग-अलग स्ट्रोक दिइन्छ। यसले छालामा भएको टक्सिन बाहिर निस्कन्छ। यो मालिस ४० मिनेटसम्म गरिन्छ। त्यसपछि पूरा शरीरलाई डिप दिएर शरीरबाट पानी निकालिन्छ र अन्त्यमा चिसो पानीले स्नान गराइन्छ।

बनाना लिफ र्‍याप ः केराको पातमा कालो रोफिल हुन्छ जसले एसिडिटी, जलन, क्ले आदिलाई कम गर्छ। यो थेरापीमा भिटामिन ई ओयल, अलिभ ओयल, ग्रेपप|mुट ओयल, लाइम ओयल, इन्प|mेरिड किरण एवं केराको पात प्रयोग हुन्छ। शरीरलाई मनतातो पानी र क्लिन्जर लाइम ओयलबाट सफा गरेपछि भिटामिन इ ग्रेपप|mुट र अलिभ ओयलबाट २० देखि ४० मिनेट मसाज गरिन्छ। त्यसपछि शरीरलाई केराको पातमा बेरिन्छ र इम्प|mरिड उक्त किरणलाई केराको पातमा पारिन्छ। अन्त्यमा तातोपानीबाट शरीरलाई सफा गरिन्छ र कागती पानी पिउन दिइन्छ। यो थेरापीले सौन्दर्यमा निखार ल्याउनुका साथै स्वास्थ्य लाभ पनि गराउँछ।

1 comment:

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी.. जानकारी के लिए सुक्रिआ. केसर के फायदे इतने विस्तार और अच्छे से समझाने के लिए धन्यवाद..

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