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फेसबुक को सेफ रखने के फंडे

फेसबुक पर ऐसे तमाम संदेश ऐप्स या विज्ञापनों की शक्ल में आ रहे हैं जिन्हें क्लिक करते ही आपका पूरा डेटा और प्रिवेसी खत्म हो जाती है। ऐसे अनजाने ऐप्स पर क्लिक करने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह से पड़ताल जरूर कर लें। प्रिवेसी सेटिंग्स के जरिये ऐसे अनजाने खतरों को टाला जा सकता है। कैसे बता रहे हैं बालेंदु शर्मा दाधीच 

क्या आपका फेसबुक अकाउंट किसी ने खोला है 
फेसबुक इस बात का ध्यान रख सकता है कि आप अपना अकाउंट किन कंप्यूटरों या मोबाइल फोन से ऐक्सेस करते हैं। अगर कोई दूसरा शख्स किसी दूसरी डिवाइस से आपका अकाउंट खोलकर देखता है तो आपको इसकी खबर मिल सकती है बशर्ते आपने अपने अकाउंट में इसके लिए जरूरी सेटिंग की हो और अपने कंप्यूटर मोबाइल आईपैड आदि को रजिस्टर किया हो। इन्हें Accounts Settings>Security के तहत Recognized Devices के तहत देखा जा सकता है। अगर आप किसी दूसरे कंप्यूटर से अकाउंट ऐक्सेस किए जाने पर ईमेल सूचना पाना चाहते हैं तो Account Settings>Security पर जाकर Login Notifications को ऐक्टिव कर दें। यहीं आप बता सकते हैं कि किसी दूसरे कंप्यूटर पर ऐक्सेस किए जाने की हालत में आप कैसे सूचना पाना चाहते हैं- ईमेल के जरिये या फिर एसएमएस से। 

पिछले कुछ दिनों से मेरे फेसबुक अकाउंट में लोगों की रिक्वेस्ट आ रही थीं जिनमें प्रोफाइल वेरिफिकेशन का आग्रह किया जाता था। पता चला कि फेसबुक पर एक स्पैम मेसेज रोशनी की स्पीड से फैल रहा है जिसमें लोगों से कहा जा रहा है कि सभी यूजर्स के प्रोफाइल का 15 जून तक वेरिफिकेशन होना है। इसके बाद सभी अनवेरिफाइड अकाउंट डिलीट कर दिए जाएंगे। संदेश के नीचे ही वेरिफिकेशन की प्रोसेस शुरू करने के लिए बटन होता था। 

बेचारे फेसबुक यूजर धड़ाधड़ बटन पर क्लिक कर रहे थे यह जाने बिना कि यह एक फेसबुक स्पैम की करतूत थी जो ऐप की शक्ल में वायरस की तरह काम करता है। जैसे ही वे इस ऐप को इन्स्टॉल करते थे वह उनकी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद लोगों को वही डरावना संदेश भेज देता था। 15 जून निकल चुका है लेकिन वेरिफिकेशन संदेश अब भी आ रहे हैं। प्रोफाइल वेरिफिकेशन स्पैम फेसबुक पर फैल रहे दर्जनों खतरनाक स्पैम में से एक है। एक बार इस पर दिए बटन को दबाने का मतलब है आपने अपने निजी डेटा की प्रिवेसी के साथ समझौता कर लिया। क्लिक करने की बजाय आपको चाहिए कि ऐसे संदेशों को अपने पेज या टाइमलाइन से पूरी तरह हटा दें और फेसबुक को रिपोर्ट करें।

फेसबुक यूजर्स के बीच इस बात को लेकर खासी जिज्ञासा रहती है कि उनके प्रोफाइल को किसने देखा। ऐसा करने वाले एक ऐप्लिकेशन से जुड़े संदेश कई महीनों से फैल रहे हैं जिन्हें लोग क्लिक कर देते हैं। लेकिन यह एक फर्जी ऐप्लिकेशन है जो आपके अकाउंट का डेटा लपक लेता है। फेसबुक पर ऐसा कोई ऐप्लिकेशन नहीं है जो यह जानकारी दे सके। 

शक करें उस ऐप्लिकेशन पर जो 

1. आपके फेसबुक खाते की सभी जानकारियों तक पहुंचना चाहता हो। 

2. बहुत सारी चीजों के बारे में इजाजत मांगता हो। 

3. फेसबुक चैट पर आपकी तरफ से चैट करने की छूट चाहता हो। वह चैट के जरिये दूसरों तक स्पैम मेसेज भेजने लगेगा। 

4. आपके पेज और इवेंट्स को मैनेज करने की इजाजत मांग रहा हो। 

5. आपकी तरफ से आपके दोस्तों को ईमेल भेजने की इजाजत चाहता हो। 

6. आपको फ्री गिफ्ट कार्ड एयरलाइन टिकट फूड वाउचर आई-पैड आई-फोन देने की बात करता हो। 

7. आपका कोई विडियो या सीक्रेट फोटो दिखाने की बात करता हो। 

8. अश्लील विडियो या सिलेब्रिटीज के विडियो दिखाने की बात करता हो। 

9. कोई रहस्य-सा बनाकर आपकी जिज्ञासा जगाने की कोशिश करे। जैसे यह फोटो आप जरूर देखना चाहेंगे या 95 फीसदी लोग यह विडियो पूरा नहीं देख पाएंगे या फिर 80 फीसदी लोग आंखों के इस टेस्ट में नाकाम हो गए। 

ऐसे बचें फेसबुक स्कैम से 
हर कहीं क्लिक न करें: यूं ही बिना जाने समझे किसी भी लिंक पर क्लिक न करें। यह नियम सिर्फ फेसबुक टाइमलाइन या वॉल पर ही नहीं बल्कि चैट संदेशों ईमेल प्राइवेट मेसेजों वगैरह पर भी लागू होता है। किसी ने कोई लिंक भेजा है तो पहले उससे पूछ जरूर लें। 

आकर्षक संदेशों से बचें: अगर कोई संदेश इतना आकर्षक है कि उस पर यकीन नहीं होता तो फिर उसे खोलकर देखने की क्या जरूरत है। 

सिस्टम रखें सेफ: कंप्यूटर में ऐंटि-वायरस और ऐंटि-स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर जरूर इंस्टॉल करें और उन्हें पूरी तरह अपडेट भी रखें। 

प्रिवेसी सेटिंग्स: फेसबुक अकाउंट में प्रिवेसी और सिक्युरिटी सेटिंग्स का इस्तेमाल जरूर करें। मुमकिन हो तो प्रिवेसी सेटिंग को सबसे ऊपरी स्तर पर रखें ताकि आपका प्रोफाइल ईमेल पता जन्म दिन घर का पता फोटो और अपडेट हर किसी को दिखाई न पड़ें। 

ऐप्लिकेशन: किसी भी ऐप्लिकेशन को इस्तेमाल करने से पहले उसके बारे में गूगल सर्च करके देख लें। अगर वह सुरक्षित है तभी ऐक्टिवेट करें। बीच-बीच में अपने ऐप्लिकेशंस की लिस्ट देखते रहें और गैरजरूरी ऐप्लिकेशंस हटाते रहें। इसके लिए अपने फेसबुक अकाउंट में सबसे दाईं तरफ होम लिंक पर क्लिक करके Account Settings>Apps का इस्तेमाल करें। अब ऐप के नाम पर क्लिक करके Edit लिंक को क्लिक करें और अपनी सेटिंग्स में जरूरी फेरबदल कर लें। यहां आपको दिखाई देगा कि कौन सा ऐप्लिकेशन आपके किस-किस डेटा का इस्तेमाल कर रहा है। जरा भी शक हो तो सेटिंग्स बदल दें या फिर ऐप को हटा दें। किसी भी ऐप को हटाने के लिए इसी जगह पर Edit की बजाए Remove App लिंक दबाने की जरूरत है। 

जानकारी में कंजूसी बरतें: अपने फेसबुक प्रोफाइल में सब कुछ बता डालने की जरूरत नहीं है। घर का पता ,फोन नंबर जन्म तिथि दफ्तर का पता आदि डालने की जरूरत नहीं है। यहां सिर्फ आम सूचनाएं हों तो बेहतर। 

फेसबुक पासवर्ड: फेसबुक पासवर्ड मजबूत रखें। यह थोड़ा लंबा हो तो अच्छा रहेगा। पासवर्ड में अंक विशेष चिह्न कैपिटल तथा स्मॉल लेटर्स आदि मौजूद हों तो उसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है। कुछ हफ्तों या महीनों में उसे बदलते भी रहें। 

टैगिंग से छुटकारा 

फेसबुक ने यह सुविधा नहीं दी है लेकिन आप यह जरूर कर सकते हैं कि किसी के टैग करने पर पहले आपको खबर मिले और आपकी मंजूरी के बाद ही टैग ऐक्टिव हो। इसके लिए Privacy>Settings>Timeline and Tagging>Edit पर जाकर Review posts friends tag you before they appear in your timeline कोOn कर दें। इसी तरह Review tags friends add to your own posts in Facebook के आगे दिए लिंक को क्लिक कर इसे भी On कर दें। अब जब भी आपको टैग किया जाएगा पहले आपको सूचना मिलेगी और आपके मंजूर करने पर ही वह पोस्ट टाइमलाइन में आएगी। 

कैसे फैलते हैं स्कैम और स्पैम 

चैट: ऐसे कई स्पैम हैं जिनमें आपके फ्रेंड्स से किसी न किसी बहाने पैसा ऐंठने के लिए चैट संदेशों का इस्तेमाल किया जाता है। 

वॉल पोस्ट: अगर आपके किसी फेसबुक फ्रेंड के अकाउंट पर कब्जा कर लिया जाता है तो उसकी वॉल पर स्पैम मेसेज पोस्ट होने लगते हैं। ये मेसेज आपकी न्यूज फीड में आ जाते हैं। 

ग्रुप और पेज: कुछ पेज और ग्रुप अपने फेसबुक फ्रेंड्स को उनके साथ जोड़ने के बदले आपको किसी न किसी तरह का गिफ्ट ऑफर करते हैं। कई बार वे आपको एक खास कोड अपने ब्राउजर के अड्रेस बार में पेस्ट करने को कहते हैं जो आपको वायरस दे सकता है। इनके सदस्यों की संख्या जितनी बढ़ती जाती है उनके लिए अपने स्कैम को चलाना उतना ही आसान हो जाता है। 

फर्जी ऐप्लिकेशन्स: कुछ ऐप्लिकेशन लोगों से किसी न किसी बहाने निजी डेटा मांगते हैं। जैसे एक फेसबुक क्विज स्कैम में आपको अपना स्कोर तभी दिखाया जाता है जब आप अपना मोबाइल नंबर दे दें। 

फर्जी इवेंट्स: कुछ स्कैमर आकर्षक इवेंट्स आयोजित करने की बात करके फेसबुक यूजर्स को आमंत्रित करते हैं। वे उनके फेसबुक पेजों पर इवेंट्स से जुड़े लिंक पोस्ट करने की इजाजत मांगते हैं। ऐसे लिंक क्लिक करने वालों के अकाउंट पर कब्जा हो जाता है। 

विज्ञापन: कुछ विज्ञापन यूजर्स को आकर्षक ऑफर देकर अपनी ओर खींचते हैं। क्लिक करने पर वायरस ही हाथ लगते हैं।  


घर के भीतर झांकने की तैयारी में गूगल


लंदन।। अगर आप भी मानते हैं कि तकनीक ने इंसानी जिंदगी को आसान, सुरक्षित और बेहतर बनाया है तो आपको एक बार दोबारा इस पर सोचने की जरूरत है। तकनीक की माहिर टॉप अमेरिकी कंपनियां अब ऐसे मिलिट्री ग्रेड के पावरफुल कैमरों का इस्तेमाल कर रही हैं जिनसे वे घरों के भीतर तक ताक-झांक कर सकती हैं। घर में क्या चल रहा है, इसकी मैपिंग कर सकती हैं। यह सब इतने करीब से देखा जा सकेगा कि घर के फर्श पर पड़ी चार इंच चौड़ी चीज भी कैमरा पकड़ लेगा।

डेलीमेल अखबार की रिपोर्ट मानें तो गूगल और ऐपल ऐसे ही नए हाइटेक मैपिंग प्लेन का इस्तेमाल करने जा रहे हैं जो तारों की रोशनी में भी घरों की खिड़कियों से अंदर तक झांक सकेंगे। ऐसे में प्रिवेसी पर खतरा मंडरा सकता है।

मिलिट्री लेवल की तकनीक
यह तकनीक उसी तरह की है, जैसी कि इंटेलिजेंस एजेंसियां अफगानिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को पहचानने में इस्तेमाल कर रही हैं। गूगल ने माना भी है कि उसने शहरों के ऊपर से ऐसे प्लेन गुजारे हैं जबकि ऐपल का कहना है कि उसने ऐसी फर्म खरीदी है जो आसमान से जासूसी करने की तकनीक रखती है। यही नहीं करीब 20 जगहों पर इसे परखा भी जा चुका है। इन जगहों में लंदन भी शामिल है।

क्या हैं गूगल, ऐपल के प्लान
सर्च इंजन के बेताज बादशाह गूगल स्पाई प्लेनों का इस्तेमाल करके 3डी मैप बनाएगा। इनमें सैटलाइट से ली गई गूगल अर्थ वाली इमेज से ज्यादा डिटेल होंगी। गूगल को उम्मीद है कि इस साल आखिर तक शहरों और कस्बों की 3डी कवरेज हो जाएगी। इनकी कुल आबादी मिलकर करीब 30 करोड़ होगी। हालांकि ये शहर कौन से होंगे, इस बारे में गूगल ने कोई जानकारी नहीं दी है।

वहीं ऐपल आईफोन और बाकी डिवाइस के लिए अपने नए मैपिंग ऐप्लिकेशंस का खुलासा जल्द करने वाला है। इनमेंप्रिवेसी सेफगार्ड भी साथ होगा। इसके 3डी मैप पहली बार ऊंची इमारतों की साइड की दीवारें भी दिखा सकेंगे।मसलनबिग बेन क्लॉक टावर।

कैसे काम करती है तकनीक
मौजूदा 3डी मैपिंग तकनीक ऊपर से ली गई तस्वीरों पर आधारित है। इसका रेज्योलुशन ऐपल की भावी तकनीक केरेज्योलुशन के मुकाबले काफी कम होता है। इसका मतलब हुआ कि जब यूजर्स इमेज और पास से देखने के लिए जूमइन करते हैं तो डिटेल गायब धुंधली पड़ जाती हैं क्योंकि इमेज की क्वॉलिटी इतनी अच्छी नहीं होती।

जहां तक जासूसी प्लेन की बात है तो ये हर घंटे में 40 स्क्वेयर मील की फोटोग्रफी कर सकते हैं। यानी वे इतनी तेजीसे उड़ सकते हैं और इतने करीब तक जा सकते हैं कि किसी घर में लगे वाई-फाई सिस्टम तक को खंगाल सकते हैं।

प्रिवेसी का क्या होगा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तकनीक एक खतरनाक डिवेलपमेंट है। बिग ब्रदर वॉच के डायरेक्टर निक पिकल्सचेतावनी देते हुए कहते हैं कि गहराई में पहुंचने के लिए मची इस व्यावसायिक दौड़ से प्रिवेसी का खात्मा होने जारहा है। नेक्स्ट जेनरेशन के मैप हमें घर की चारदीवारी के अंदर दाखिल होने देंगे। सोचिए आप अपने घर के बगीचे याछत पर सन बाथ भी नहीं ले सकेंगे। यही डर रहेगा कि कहीं गूगल या ऐपल का प्लेन आपकी ऊपर से तस्वीरें तो नहींले रहा।

ऐपल इससे पहले अपनी मैपिंग सर्विसेज के लिए गूगल का इस्तेमाल करता था पर पिछले साल पता चला कि इसनेसीटेक्नॉलजीज को खरीद लिया है। यह 3डी मैपिंग करने वाली कंपनी है जो एयरोस्पेस ऐंड डिफेंस कंपनी साब एबीकी बनाई तकनीक का इस्तेमाल करती है।

1600 फीट की ऊंचाई से फोटो
अब तक सीदुनिया के 20 शहरों की मैपिंग कर चुकी है और ऐपल का सपोर्ट मिलने के बाद माना जा रहा है किशहरों की संख्या और बढ़ चुकी है। इसकी तस्वीरें 1600 फीट की ऊंचाई से ली गई हैं। सीके एक एग्जेक्युटिव काकहना था कि यह कुछ उसी तरह है जैसे कि गूगल स्टेरॉइड पर जाकर तस्वीरें ले रहा हो।





सिर्फ पांच साल और चलेंगे गूगल-फेसबुक?




क्या आपने गूगल या फेसबुक के बिना इंटरनेट की कल्पना की है? प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक पांच सालों में गूगल और फेसबुक पूरी तरह से गायब हो सकती हैं।  एरिक जैकसन ने अपने लेख में इसके कारण बताए हैं।
 
1. साल 2010 के बाद बनी सोशल कंपनियां दुनिया के बारे में बिलकुल अलग राय रखती हैं। ये कंपनियां, उदाहरण के तौर पर इंस्टाग्राम, इंटरनेट के बजाय मोबाइल प्लेटफार्म को अपने कंटेट के लिए प्राइमरी प्लेटफार्म मानती हैं। वेब पर लांच करने के बजाय ये नई कंपनियां यकीन रखती हैं कि उनकी मोबाइल एप्लीकेशन को लोग इंटरनेट के स्थान पर इस्तेमाल करना शुरु कर देंगे। इस अवधारणा के अनुसार हमें कभी भी वेब 3.0 नहीं मिलेगा क्योंकि तब तक इंटरनेट समाप्त हो चुका होगा। 
 
 
2. वहीं वेब 1.0 (1994 से 2001 के बीच अस्तित्व में आई कंपनियां जिनमें नेटस्केप, याहू, एओएल, गूगल, अमेजन और ईबे शामिल हैं) और वेब 2.0 कंपनियां (2002 से 2009 के बीच अस्तित्व में आई कंपनियां जिनमें फेसबुक, लिंक्डइन, ग्रुपऑन आदि शामिल हैं) अभी भी इस नए बदलाव के साथ खुद को बदलने को लेकर आश्वस्त नहीं है। फेसबुक सोशल मीडिया कंपनियों में सबसे आगे है और बहुत जल्द ही वो अपना आईपीओ लांच कर रही है। हो सकता है कि उसकी मौजूदा बाजार कीमत 140 बिलियन डॉलर के आंकड़े को भी पार कर जाए। लेकिन फिर भी यह मोबाइल प्लेटफॉर्म पर पिछड़ रही है। इसकी आईफोन और आईपैड एप्लीकेशन इसके डेस्कटॉप वर्जन की ही नकल हैं।
 
3. फेसबुक इंटरनेट के जरिए पैसा कमाने के तरीके निकालने की कोशिश कर रही है। साल 2011 में फेसबुक की कुल आय सिर्फ 3.7 बिलियन डॉलर ही थी। वहीं 2011 की अंतिम तिमाही के मुकाबले 2012 की पहली तिमाही में भी फेसबुक की आय में कमी आई है। और सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि फेसबुक के पास अपनी मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए पैसा कमाने का अभी कोई तरीका भी नहीं है। 
 
4. वेब 1.0 कंपनियां सोशल मीडिया में नाकाम साबित हुई हैं। इससे मोबाइल प्लेटफार्म पर फेसबुक की सफलता को लेकर भी संदेह है। गूगल अपनी गूगल+ सेवा का हश्र देख ही चुकी है।  वहीं परिस्थितियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि मौजूदा आपरेटिंग वातावरण और कंपनियों के मूल उत्पादों में असंतुलन के कारण कंपनियों पर 'पिछड़ने का दायित्व' भी बढ़ रहा है। इस सिद्धांत से मौजूदा टेक्नोलॉजी दुनिया की दुर्दशा को समझा जा सकता है। 
 
अब सवाल उठता है कि क्या फिर गूगल, फेसबुक, अमेजन और याहू जैसी कंपनियां बेमानी हो जाएंगी? हालांकि ये कंपनियां अभी भी लगातार बढ़ रही हैं और अभी भी इनमें बहुत प्रतिभाशाली लोग जुड़े हैं। लेकिन नए बदलावों (जैसे पहले सोशल,  अब मोबाइल और आने वाले वक्त में कुछ और) में पुरानी तकनीकें प्रचलन से बाहर हो जाती हैं।
 
5. हम अभी जिस तकनीकी दुनिया में रह रहे हैं उसका लगातार विकास हो रहा है। याहू का बाजार 2000 के मुकाबले सिकुड़ रहा है। यह चर्चा जोरों पर है कि कैसे गूगल भी मुश्किल दौर से गुजर रही है। जब उसका डेस्कटाप सर्च व्यापार (गूगल की अधिकतर आय इसी से होती है) कम होने लगेगा तब उसके पास क्या विकल्प होंगे क्योंकि इंटरनेट यूजर ने मोबाइल पर अलग-अलग तरीकों से जानकारी खोजना शुरु कर दिया है।
 
क्या अमेजन भी लगातार कमजोर होगी? इसमें कोई शक नहीं है कि अमेजन अभी भी लगातार बढ़ रही है लेकिन जब मोबाइल प्लेटफार्म पर लोगों के पास सामान खरीदने के अन्य सुविधाजनक विकल्प होंगे तब निश्चित ही अमेजन की चिंता बढ़ जाएगी। फेसबुक के सामने भी यही चुनौती होगी। हमशी मैकेंजी ने हाल ही में कहा है कि मुझे नहीं लगता कि फेसबुक मोबाइल प्लेटफार्म पर आने के लिए खुद में बदलाव करके न्यूजफीड, मैसेजिंग, फोटो, और एड्रस बुक के लिए अलग-अलग एप्लीकेशन लांच कर पाएगी क्योंकि ऐसा करके उसका मूल रूप पूरी तरह से बदल जाएगा।  
 
सवाल यह है कि फेसबुक किस गति से मोबाइल प्लेटफार्म पर चेंज करेगा? अनुमानों के मुताबिक उसकी गति भी ऐसे ही होगी जैसे गूगल की सोशल होने के दौरान थी। फेसबुक का सबसे बड़ा डर यही है कि कहीं मोबाइल के दौर में वो पिछड़ न जाए। 
 
एप्पल के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। एप्पल मूलरूप से हार्डवेयर कंपनी है लेकिन फिर भी वो मोबाइल बाजार में कामयाब रही  क्योंकि उसने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम लांच कर दिया। शायद यही कारण है कि अन्य कंपनियां भी एप्पल का अनुसरण करने की सोच रही हैं। रिपोर्टों के मुताबिक फेसबुक और बायडू अपना मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम लांच करने पर काम कर रही हैं। 
 
अगले 5-8 सालों में इंटरनेट जगत में बहुत बदलाव होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि गूगल और फेसबुक अपने आज के आकार के मुकाबले सिमट जाएं या पूरी तरह से गायब ही हो जाएं। 
यूं तो इन कंपनियों के पास वेब से मोबाइल पर शिफ्ट होने के लिए तमाम पैसा और साधन होंगे लेकिन इतिहास के उदाहरण बताते हैं कि वो ऐसा कर नहीं पाएंगी। माना जाता है कि गूगल के कार्यकारी अध्यक्ष एरिक श्मिद्त भी भविष्य में सभी एंड्रायड उपभोक्ताओं से दस डॉलर प्रतिमाह वसूलने का विचार रखते हैं  ताकि भविष्य में कंपनी के आर्थिक फायदों को सुनिश्चित किया जा सके।  



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