मुश्किलों से बचना या आसान जीवन जीना इंसान की स्वाभाविक चाहत है। किंतु सुरक्षित जीवन की यह भावना इंसान के दिमाग पर ज्यादा हावी हो जाती है, तो वह हर दिन, हर पल उठते-बैठते आस-पास के लोगों या बातों को लेकर असंतुष्ट होने लगता है। जिससे वह अशांत या व्यर्थ दबाव व तनाव में रहकर अकेलेपन का शिकार भी होने लगता है।
शास्त्रों के मुताबिक संसार में रहकर भी जीवन से जुड़े नजरिए को लेकर अज्ञानता ही ऐसी मनोदशा पैदा करती है। जिससे बचकर व्यावहारिक जीवन की सफलता के लिए हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में एक बेहतरीन सूत्र बताया गया है। जिसके मुताबिक हर व्यक्ति के जीवन में 5 तरह के लोग अहम भूमिका निभाते हैं। इंसान को इस बात को समझकर हर स्थिति का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।
लिखा गया है कि -
पञ्च त्वानु गमिष्यन्ति यत्र यत्र गमिष्यसि।
मित्राण्यामित्रा मध्यस्था उपजीव्योपजीविन:।।
इस श्लोक का मतलब व इसमें छिपा संकेत है कि जीवन में जहां-जहां भी जाएंगे, वहां पर इन पांच तरह के लोगों के बीच जीवन गुजारना होता है, इनसे सही तालमेल जीना आसान बना देता है। ये 5 लोग हैं -
मित्र - समान विचार, व्यवहार व भावना रखने वाले लोग आपके करीबी बन मित्र रूप में सहयोगी बनते हैं।
शत्रु - काम, स्वार्थ या हित के चलते विरोधी, द्वेषी या ईर्ष्या भाव रखने वाले लोग शत्रुता का व्यवहार करते हैं।
उदासीन - ऐसे लोग जो अच्छा हो या बुरा न आपका सहयोग न विरोध करे। ऐसे लोगों का व्यवहार असामान्य व निष्क्रियता से भरा होता है, जो किसी को भी बेचैन व निराश करता है।
पनाह देने वाले - कठिन समय में निस्वार्थ सहयोग व सेवा करने वाले या शरण देने वाले लोग।
पनाह पाने वाले - बुरे वक्त या हालात के कारण कमजोर, गरीब या अन्य किसी कारण से शरण में आने वाले लोग।
इस तरह जीवन में हर रोज इन पांच तरह के लोगों का सामना तय है। इसलिए वक्त व व्यक्तियों से तालमेल बैठाकर जीवन को सही दिशा में मोड़ना चाहिए, बजाए इन बातों से मुंह फेर खुद या दूसरों को दोषी मानकर कलह व संताप के साथ वक्त व जीवन गुजारना।
शास्त्रों के मुताबिक संसार में रहकर भी जीवन से जुड़े नजरिए को लेकर अज्ञानता ही ऐसी मनोदशा पैदा करती है। जिससे बचकर व्यावहारिक जीवन की सफलता के लिए हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में एक बेहतरीन सूत्र बताया गया है। जिसके मुताबिक हर व्यक्ति के जीवन में 5 तरह के लोग अहम भूमिका निभाते हैं। इंसान को इस बात को समझकर हर स्थिति का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।
लिखा गया है कि -
पञ्च त्वानु गमिष्यन्ति यत्र यत्र गमिष्यसि।
मित्राण्यामित्रा मध्यस्था उपजीव्योपजीविन:।।
इस श्लोक का मतलब व इसमें छिपा संकेत है कि जीवन में जहां-जहां भी जाएंगे, वहां पर इन पांच तरह के लोगों के बीच जीवन गुजारना होता है, इनसे सही तालमेल जीना आसान बना देता है। ये 5 लोग हैं -
मित्र - समान विचार, व्यवहार व भावना रखने वाले लोग आपके करीबी बन मित्र रूप में सहयोगी बनते हैं।
शत्रु - काम, स्वार्थ या हित के चलते विरोधी, द्वेषी या ईर्ष्या भाव रखने वाले लोग शत्रुता का व्यवहार करते हैं।
उदासीन - ऐसे लोग जो अच्छा हो या बुरा न आपका सहयोग न विरोध करे। ऐसे लोगों का व्यवहार असामान्य व निष्क्रियता से भरा होता है, जो किसी को भी बेचैन व निराश करता है।
पनाह देने वाले - कठिन समय में निस्वार्थ सहयोग व सेवा करने वाले या शरण देने वाले लोग।
पनाह पाने वाले - बुरे वक्त या हालात के कारण कमजोर, गरीब या अन्य किसी कारण से शरण में आने वाले लोग।
इस तरह जीवन में हर रोज इन पांच तरह के लोगों का सामना तय है। इसलिए वक्त व व्यक्तियों से तालमेल बैठाकर जीवन को सही दिशा में मोड़ना चाहिए, बजाए इन बातों से मुंह फेर खुद या दूसरों को दोषी मानकर कलह व संताप के साथ वक्त व जीवन गुजारना।
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